EPS Pension:कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) नौकरीपेशा लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कवच है। यह योजना कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद नियमित आय प्रदान करती है, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहता है।
EPS का कार्य प्रणाली
EPS में, कर्मचारी के वेतन का एक हिस्सा हर महीने पेंशन फंड में जमा होता है। यह राशि नियोक्ता के योगदान से आती है, जो कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 8.33% होती है। हालांकि, इस योगदान की अधिकतम सीमा 15,000 रुपये प्रति माह तक सीमित है।
पेंशन की गणना
EPS पेंशन की गणना एक निश्चित फॉर्मूले के आधार पर की जाती है:
हर महीने मिलने वाली पेंशन = (पात्र वेतन x ईपीएस में जमा किए गए कुल वर्ष) / 70
मान लीजिए, एक कर्मचारी ने 30 वर्षों तक काम किया है और उसकी अंतिम पांच वर्षों की औसत मासिक तनख्वाह 15,000 रुपये रही है, तो वह प्रति माह जितनी पेंशन पाने का हकदार होगा, वह इस प्रकार होगी:
(15,000 x 30) / 70 = 6,428 रुपये
वर्तमान सीमाएं और संभावित परिवर्तन
वर्तमान में, EPS में अधिकतम पेंशन योग्य सैलरी 15,000 रुपये प्रति माह तक सीमित है। इसका मतलब है कि अधिकतम मासिक पेंशन 7,500 रुपये तक ही हो सकती है। हालांकि, अगर यह सीमा हटा दी जाए, तो पेंशन की राशि बढ़ सकती है।
उदाहरण के लिए, अगर सीमा हटा दी जाए और किसी की सैलरी 32,000 रुपये हो, तो उसकी पेंशन होगी:
(32,000 × 28) ÷ 70 = 12,800 रुपए प्रतिमाह
EPS के लाभ
1. नियमित आय: रिटायरमेंट के बाद हर महीने निश्चित राशि मिलती है।
2. सामाजिक सुरक्षा: बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
3. कर लाभ: EPS में योगदान पर कर छूट मिलती है।
4. सरकारी गारंटी: सरकार द्वारा संचालित होने के कारण सुरक्षित निवेश है।
EPS एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजना है जो कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक स्थिरता प्रदान करती है। हालांकि, वर्तमान सीमाओं के कारण पेंशन की राशि सीमित हो जाती है। भविष्य में इन सीमाओं में बदलाव की संभावना है, जो पेंशन की राशि को बढ़ा सकता है। प्रत्येक कर्मचारी को अपने EPS खाते की नियमित जांच करनी चाहिए और अपने भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बचत और निवेश पर भी ध्यान देना चाहिए।