Gold Rate Today In India:भारत में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। श्राद्ध पक्ष के शुरू होने के साथ ही सोने के भाव में लगातार कमी आ रही है। यह एक ऐसा समय है जब लोग सोना खरीदने से परहेज करते हैं, क्योंकि इस अवधि में सोना खरीदना शुभ नहीं माना जाता। आइए इस स्थिति पर विस्तार से नज़र डालें।
श्राद्ध काल में सोने की कीमतों का रुझान
पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान सोने के दाम में गिरावट का रुझान रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि इस दौरान स्थानीय बाज़ार में सोने की मांग कम हो जाती है। लोग इस समय सोना खरीदने से बचते हैं, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ता है।
वर्तमान कीमतों में बदलाव
20 सितंबर 2024 को सोने की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। 10 ग्राम सोने के दाम में लगभग 300 रुपये की कमी आई है। हालांकि, चांदी के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह 90,900 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर है।
प्रमुख शहरों में सोने के दाम
भारत के अलग-अलग नगरों में सोने के दाम में थोड़ा-बहुत फर्क पाया जाता है:
1. दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ: इन शहरों में 24 कैरेट सोने का भाव 74,590 रुपये प्रति 10 ग्राम है, जबकि 22 कैरेट सोना 68,390 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बिक रहा है।
2. मुंबई, कोलकाता और भुवनेश्वर: यहां 24 कैरेट सोना 74,440 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोना 68,240 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर से उपलब्ध है।
3. पटना: यहां 24 कैरेट सोने का मूल्य 74,490 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोने का मूल्य 68,290 रुपये प्रति 10 ग्राम है।
कीमतों में अंतर के कारण
विभिन्न शहरों में सोने की कीमतों में जो मामूली अंतर दिखाई देता है, उसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें स्थानीय कर, परिवहन लागत, और स्थानीय बाज़ार की मांग-आपूर्ति शामिल हैं।
निवेशकों के लिए सुझाव
श्राद्ध काल में सोने की कीमतों में आई गिरावट निवेशकों के लिए एक अवसर हो सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सोने की कीमतें कई कारकों से प्रभावित होती हैं, जैसे वैश्विक आर्थिक स्थिति, मुद्रा की कीमत, और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के रुझान।
श्राद्ध पक्ष के दौरान सोने की कीमतों में आई गिरावट एक सामान्य प्रवृत्ति है। यह समय उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो लंबी अवधि के निवेश के लिए सोना खरीदना चाहते हैं। हालांकि, निवेश से पहले बाज़ार की स्थिति का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना और वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना बुद्धिमानी होगी।