PM Kisan Yojana:प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम किसान योजना) में बिहार राज्य के लिए एक बड़ा खुलासा हुआ है। केंद्र सरकार की जांच में पाया गया है कि राज्य में लगभग 13 लाख अपात्र लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। यह खबर राज्य के किसानों और प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गई है।
अपात्र लाभुकों को मिल रहे थे करोड़ों रुपये
केंद्र सरकार की जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि बिहार में किसान सम्मान निधि के अपात्र लोगों को प्रति वर्ष लगभग 780 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा था। यह राशि 13 लाख से अधिक ऐसे व्यक्तियों के खातों में जा रही थी, जो वास्तव में इस योजना के लिए पात्र नहीं थे।
राशन कार्ड और आधार लिंकिंग से पकड़ी गई गड़बड़ी
यह गड़बड़ी तब पकड़ में आई जब राशन कार्डधारियों के लिंक आधार का वन-टू-वन मिलान किया गया। इस प्रक्रिया में पाया गया कि कई परिवारों में एक से अधिक सदस्य इस योजना का लाभ ले रहे थे, जबकि नियम के अनुसार प्रति परिवार केवल एक व्यक्ति ही इस योजना का लाभार्थी हो सकता है।
राज्य में अपात्र लाभुकों की संख्या
बिहार में राशन कार्ड धारक परिवारों की संख्या 53 लाख 10 हजार 72 है। इनमें से 66 लाख 59 हजार 871 लोग पीएम किसान योजना का फायदा उठा रहे थे। यह तथ्य साफ तौर पर बताता है कि कई घरों में एक से ज्यादा सदस्य इस सुविधा का इस्तेमाल कर रहे थे।
सबसे अधिक प्रभावित जिले
इस अनियमितता का सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और सारण जिलों में देखा गया। मुजफ्फरपुर में करीब 57 हजार, पूर्वी चंपारण में 95 हजार, और सारण में 1 लाख 44 हजार 33 अयोग्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम का फायदा उठाया था।
सरकार का कदम
इस गंभीर मुद्दे को देखते हुए, बिहार के कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर लाभुकों का भौतिक सत्यापन कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अगली किस्त की राशि केवल पात्र लाभार्थियों के खातों में ही जाए।
योजना का भविष्य
अब तक इस योजना के तहत 17 किस्तों का भुगतान किया जा चुका है। सरकार की योजना है कि 18वीं किस्त से इस गड़बड़ी को रोका जाए। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है कि सरकारी धन का दुरुपयोग न हो और वास्तविक किसानों को ही इस योजना का लाभ मिले।
यह घटना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन में मौजूद खामियों को उजागर करती है। यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है कि वह योजना को सही तरीके से लागू करे और यह सुनिश्चित करे कि केवल पात्र किसान ही इसका लाभ उठा सकें। इस कदम से न केवल सरकारी धन की बचत होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सहायता वास्तव में जरूरतमंद किसानों तक पहुंचे।