RBI New Update:भारतीय अर्थव्यवस्था में 500 रुपये का नोट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2000 रुपये के नोट के चलन से बाहर होने के बाद, 500 रुपये का नोट अब सबसे बड़े मूल्यवर्ग का नोट बन गया है। लेकिन इसके साथ ही इसकी नकल करने की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। आइए जानें कि कैसे आप असली नोट की पहचान कर सकते हैं और क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
नकली नोटों का खतरा
हाल ही में, यह देखा गया है कि बाजार में 500 रुपये के नकली नोट भी प्रचलन में आ गए हैं। यहां तक कि कुछ मामलों में, ये नकली नोट एटीएम से भी निकल जाते हैं। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि आम नागरिक अनजाने में इन नकली नोटों का शिकार हो सकते हैं।
आरबीआई की गाइडलाइन्स
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 500 रुपये के असली नोट की पहचान के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं:
1.मुद्रा पत्र पर केंद्रीय बैंक प्रमुख का दस्तखत होता है।
2.नोट के पिछले हिस्से में दिल्ली का ऐतिहासिक स्मारक दिखाया जाता है।
3.करेंसी का मुख्य रंग धूसर पत्थर जैसा दिखता है।
4.बैंक नोट की लंबाई-चौड़ाई 6.3 सेमी और 15 सेमी होती है।
असली नोट की पहचान कैसे करें
1. मुद्रापत्र पर अंकित ‘500’ की संख्या आर-पार दिखाई देती है।
2. करेंसी में छिपा हुआ चित्र होता है।
3. हिंदी लिपि में नोट का मूल्य दर्शाया जाता है।
4. पत्र के मध्य में राष्ट्रपिता का चित्र मुद्रित होता है।
5. मुद्रा पर सूक्ष्म अक्षरों में देश का नाम दो भाषाओं में लिखा रहता है।
6. नोट में एक विशेष तार होता है, जिस पर देश और केंद्रीय बैंक का नाम अंकित होता है।
7. पत्र को तिरछा करने पर सुरक्षा रेखा का रंग परिवर्तित हो जाता है।
एटीएम और बैंकों से जुड़ी सावधानियां
1. एटीएम से पैसे निकालते समय नोटों की जांच करें।
2. अगर आपको फटे-पुराने नोट मिलते हैं, तो तुरंत अपने बैंक की नजदीकी शाखा में जाकर उन्हें बदलवा लें।
3. याद रखें, दो या अधिक नोटों पर एक जैसा सीरियल नंबर हो सकता है, लेकिन उनमें अलग-अलग मुद्रण और इनसेट लेटर होते हैं।
500 रुपये का नोट हमारे दैनिक लेन-देन का एक अहम हिस्सा है। इसलिए यह जरूरी है कि हम असली और नकली नोट में अंतर करना सीखें। आरबीआई द्वारा दी गई गाइडलाइन्स का पालन करके और सावधानी बरतकर, हम खुद को नकली नोटों से बचा सकते हैं। याद रखें, अगर आपको कोई संदिग्ध नोट मिलता है, तो तुरंत अपने नजदीकी बैंक या पुलिस स्टेशन में इसकी सूचना दें। हमारी सतर्कता से ही हम एक स्वस्थ और सुरक्षित आर्थिक वातावरण बना सकते हैं।