RBI Personal Loan Rule:वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्सनल लोन एक लोकप्रिय विकल्प है। लेकिन हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। आइए जानें इन नए नियमों के बारे में और समझें कि इनका आप पर क्या असर हो सकता है।
नए नियम क्या हैं?
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी के लिए बिना गारंटी वाले ऋणों पर नियम कड़े कर दिए हैं। अब इन्हें व्यक्तिगत कर्ज और क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित ऋणों के लिए पहले से 25% ज्यादा धन अलग रखना होगा। मान लीजिए, कोई बैंक 5 लाख का व्यक्तिगत कर्ज देता है, तो उसे अब 6.25 लाख रुपये सुरक्षित रखने पड़ेंगे।
इन बदलावों का कारण
पिछले कुछ वर्षों में पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड की मांग में तेज़ी से वृद्धि हुई है। हालांकि, इसके साथ ही लोन डिफॉल्ट के मामले भी बढ़े हैं। आरबीआई का यह कदम इस जोखिम को कम करने और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए है।
आप पर क्या होगा प्रभाव?
1. लोन मिलना हो सकता है मुश्किल: बैंकों को अधिक पूंजी अलग रखनी होगी, जिससे वे पर्सनल लोन देने में अधिक सावधानी बरत सकते हैं। इसका मतलब है कि लोन पाना पहले से थोड़ा कठिन हो सकता है।
2. ब्याज दरों में बदलाव: बैंकों की लागत बढ़ने से वे इसे ग्राहकों पर स्थानांतरित कर सकते हैं, जिससे पर्सनल लोन की ब्याज दरें बढ़ सकती हैं।
3. सख्त मानदंड: बैंक लोन देने के लिए और अधिक कड़े मानदंड अपना सकते हैं, जैसे कि उच्च क्रेडिट स्कोर या अधिक आय की आवश्यकता।
किन लोन पर लागू होंगे ये नियम?
यह महत्वपूर्ण है कि ये नए नियम केवल अनसिक्योर्ड लोन पर लागू होते हैं, जैसे पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड। सिक्योर्ड लोन जैसे होम लोन, कार लोन, या गोल्ड लोन पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्या करें अगर आप लोन लेने की सोच रहे हैं?
1. अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करें और क्रेडिट स्कोर सुधारें।
2. अपनी आय और खर्च का सही आकलन करें।
3. विभिन्न बैंकों की दरों और शर्तों की तुलना करें।
4. लोन की आवश्यकता पर पुनर्विचार करें और वैकल्पिक वित्तीय विकल्पों पर विचार करें।
आरबीआई के ये नए नियम वित्तीय क्षेत्र को और अधिक स्थिर बनाने के लिए हैं। हालांकि इससे अल्पावधि में पर्सनल लोन लेना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन लंबे समय में यह उपभोक्ताओं के हित में है। यदि आप पर्सनल लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो अपनी वित्तीय स्थिति का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करें और जिम्मेदारी से उधार लें। याद रखें, किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना हमेशा अच्छा रहता है।